एक अनजान सड़क पर कुछ लोग चिल्ला रहे है

एक अनजान सड़क पर कुछ लोग चिल्ला रहे है।
दुनिया को कोसते अपने आप पर इतरा रहे है।
कहते दुनिया में लोग कैसे आ रहे है ,
खुद पर ध्यान दे,दुनिया को भुला रहे है।
क्या है , अच्छा क्या बुरा न जान रहे है।
बस अपने में मस्त गुनगुना रहे है।
हर दूसरे दिन हड़कम्प मचा रहे है।
अपने आप को गर्त में डाले जा रहे है।
यह सब सुन उस सड़क के कान फटते जा रहे है।
उसने सोचा , न जाने क्यों ये बड़बड़ा रहे है।
जानते नहीं ये क्या बोले जा रहे है।
स्वयं की कहानी को अन्य माध्यम से बता रहे है।
एक अनजान सड़क पर लोग चिल्ला रहे है।

आज मैंने कान्हा की मूर्ति को रोते देखा

आज मैंने कान्हा की मूर्ति को रोते देखा
क्या समय आया की मैंने जगपालन को रोते देखा
उस को रोते देखा जिसने जग को चुप कराया था
मैंने पुछा क्यों रोते हो तुम तो जग के पालक हो
बोले अपने अश्रु पोछते, कैसे बतलाऊ मैं अपना हाल
इस जग के लोगो ने कर दिया मुझे बेहाल
चाहे दुःख हो या फिर सुख कोसते
रहते मुझे हर समय यह जगहर्ता
और अपने कर्मो पर सोचकर ही
मुझे लगता, की मैं जो करता गलत ही करता
और उसी बात पर …