काम करती हूँ, सिर्फ दीवारे तोड़ती हूँ,
कभी राम तो कभी रहीम को पूजती हूँ।
कभी महावीर कभी यीशु पूजती हूँ,
कोई कितनी दीवारे उठाए
पर मैं दीवारे तोड़ती हूँ।
चार धर्म, चार दिशाए
मैं दिशाओ को बीच में बांधकर
दिशाए तोड़ती हूँ।
बांध बांध कर मैं सबको एक करती हूँ।
मैं जो सोचती हूँ, उस शायद युद्ध हो जाए,
परन्तु मैं मन में हज़ारो दीवारे तोड़ती हूँ
मेरे मन में कोई युद्ध नहीं
लेकिन मैं दीवारे तोड़ती हूँ।