आज मैंने कान्हा की मूर्ति को रोते देखा
क्या समय आया की मैंने जगपालन को रोते देखा
उस को रोते देखा जिसने जग को चुप कराया था
मैंने पुछा क्यों रोते हो तुम तो जग के पालक हो
बोले अपने अश्रु पोछते, कैसे बतलाऊ मैं अपना हाल
इस जग के लोगो ने कर दिया मुझे बेहाल
चाहे दुःख हो या फिर सुख कोसते
रहते मुझे हर समय यह जगहर्ता
और अपने कर्मो पर सोचकर ही
मुझे लगता, की मैं जो करता गलत ही करता
और उसी बात पर …
bht badiya:)